तुझसे दूर जाक़े कहा जाएँ हम, इन लहरों की तरह रह जाएँ हम!
इन खामोशियों में भी कोई साज़ हैं,कुछ कहकर भी चुप रहती हैं!!
इनकी धडकनों की आवाज़ सुनो ज़ारा, क्या कहती हैं तू मुझे बोल ज़रा!
मैं कितनी भी दूर जाऊ,तू वोह किनारा हैं जहा पे मैं लौट आऊ!!
हर लहर कभी न कभी किनारा पाती हैं.....
तुजसे दूर जाऊ मैं कितना, दिल वापसी का रास्ता पाती हैं!!!!
No comments:
Post a Comment